लोक : विविध स्वर
यह कार्यक्रम लोक-साहित्य पर आधारित है, जिसमें व्याख्यानों के साथ-साथ प्रदर्शन भी सम्मिलित हैं। अब तक निम्नलिखित कार्यक्रम किए जा चुके हैं :
- सितंबर 1996 में डॉ. जी. एन. देवी द्वारा व्याख्यान दिया गया, तत्पश्चात् एक लोक-कर्मकाण्ड की प्रस्तुति की गई।
- 12 मार्च 1997 को श्रीमती महाश्वेता देवी को व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया।
- 21 अप्रैल 1997 को प्रख्यात लोक-साहित्यकार डॉ. जवाहरलाल हांडू ने व्याख्यान दिया।
- 12 सितंबर 1998 को प्रख्यात सिंधी लोक-साहित्यकार नारायण भारती ने व्याख्यान दिया, तत्पश्चात् सिंधी लोकगीतों की जीवंत प्रस्तुति का आयोजन किया गया।
- 29 अक्तूबर 1999 को कोलकाता में प्रसिद्ध बाङ्ला लोकसाहित्यविद् सुधीर चक्रवर्ती ने ‘बंगाल में जीवन के लोकमार्ग’ विषय पर व्याख्यान दिया।
- 23 अक्तूबर 1999 को मारगाँव-गोआ में प्रसिद्ध लोकसाहित्यविद् डॉ. (श्रीमती) तारा भावलकर ने ‘लोक-साहित्य के अध्ययन में नवीन प्रवृत्तियाँ’ विषय पर व्याख्यान दिया।
- 25 नवंबर 1999 को डोगरी लोक-संगीत-रूप पखान प्रस्तुत किया गया।
- 2 जनवरी 2000 को बेंगळूरु में श्रीमती सुखी बोमगौडा ने हलक्की लोकगीत प्रस्तुत किए।
- 18 अक्तूबर 2000 को इंफ़ाल में प्रख्यात संगीतकार श्री एल. बीरेन्द्र कुमार सिंह ने ‘मणिपुरी लोकसाहित्य में परंपरा और आधुनिकतावाद’ विषय पर व्याख्यान दिया।
- 22 अक्तूबर 2000 को सदाशिवगढ़ में श्याम वेरेनकर ने ‘कोंकणी लोकसाहित्य की सुरक्षा और संरक्षण की आवश्यकता’ पर संक्षिप्त व्याख्यान दिया।
- 24 नवंबर 2000 को मुंबई में मधुकर वाकोडे ने ‘कल्पना, प्रतीक और मिथक’ पर संक्षिप्त व्याख्यान दिया।
- 10 फ़रवरी 2001 को चल्लाकेरी में लोक कलाकार श्री क्यातन्ना और श्री मुद्दवीरन्ना ने ‘जुंजप्पानापदगलु’ और ‘गाने-वादन’ की प्रस्तुति की।
- 10 फ़रवरी 2001 को मीरासबिहल्ली शिवन्ना ने चल्लाकेरी में व्याख्यान प्रस्तुत किया।
- 11 अप्रैल 2001 को त्रिलोचन मिश्र ने भुवनेश्वर में ‘जीवंत स्वर: ओड़िया लोकसाहित्य की परंपराएँ और आधुनिकता’ विषय पर व्याख्यान दिया।
- 10 जून 2001 को गिरड्डी गोविन्द राजा, बी. ए. विवेक राय और सी. एन. रामचंद्रन द्वारा बंगलूरु में कार्यक्रम।
- 2 अगस्त 2001 को अमरापुर, अहमदाबाद में दलपत बधियार, हरिश्चंद्र जोशी, बलवंत जानी और रघुवीर चौधुरी ने ‘गुजराती लोकसाहित्य’ पर व्याख्यान दिया, तत्पश्चात् माधव रामानुज ने गुजराती लोकगीत प्रस्तुत किए।
- 29 सितंबर 2001 को नई दिल्ली में तीर्थ फूकन और साथियों द्वारा बिहू-गीत प्रस्तुत किए गए।
- 6 नवंबर 2001 को कुंबले सुंदर राव, प्रो. प्रभाकर जोशी और सिद्दकाट्टे ब्रदर्स ने यक्षगान प्रस्तुत किया।
- 6 दिसंबर 2001 को रॉबिन रायचौधुरी ने ‘निकोबारवासी और उनकी संस्कृति’ विषय पर इंफ़ाल में व्याख्यान दिया।
- 30 दिसंबर 2001 को संत कुमार मित्र ने ‘मातृभूमि लोक संस्कृति’ विषय पर पुरुलिया में व्याख्यान दिया।
- 15 फ़रवरी 2002 को विन्ध्यवासिनी देवी ने इलाहाबाद में भोजपुरी, मैथिली और मगही लोकगीतों का गायन प्रस्तुत किया।
- 16 जुलाई 2002 को तारापद संग्रह ने ‘पश्चिम बंगाल का लोकजीवन और संस्कृति’ विषय पर कोलकाता में व्याख्यान दिया।
- 31 अगस्त से 8 सितंबर 2002 तक, केरल की पद्यानी मंडली ने अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया। मंडली में शामिल थे—कुदाम्मनीता वासुदेवन पिळ्ळै, कूथू पट्टाराय तथा उनके सहकलाकार-सुंदर, पालनी और शिव।
- 26 मई 2003 को ‘लीजेण्ड और साहित्य’ विषय पर एच. बिहारी सिंह ने जवाहरलाल नेहरू मणिपुर नृत्य एकेडमी, इंफ़ाल में व्याख्यान दिया।
- 5 जून 2003 को सैकत रक्षित ने पुरुलिया के ‘छाऊ’ नृत्य पर गुवाहाटी में अपना व्याख्यान दिया।
- 9 अक्तूबर 2003 को सिरसी में कस्तूरबा मुंशन्ननवार और उनके साथियों ने गिगि पदगलु की प्रस्तुति की।
- 27 मार्च 2004 को गुवाहाटी में बोई-नि-टॉम पर तबू तईद का व्याख्यान हुआ था पवित्रपेगु और साथियों द्वारा मिसिंग गीत और नृत्य की प्रस्तुति हुई।
- 29 सितंबर 2004 को चंद्रप्रकाश देवल, विजयदान देथा, एम. वी. नायक और दामोदर मावज़े द्वारा गोवा में कार्यक्रम।
- 18 दिसंबर 2004 को उधमपुर में गीतरू और कुद प्रस्तुति।
- 27 जनवरी 2005 को भुज में सिन्ध और कच्छ की वाचिक परंपरा की प्रस्तुति।
- 16 नवंबर 2005 को खरिद्वारा, पुरुलिया में बोडो जीवन और साहित्य पर कार्यक्रम।
- 20 नवंबर 2005 को लोक और जनजातीय कला एवं साहित्य पर वडोदरा में कार्यक्रम।
- 9 फ़रवरी 2006 को इंफ़ाल में मणिपुरी लोकसंगीत और लई हाराओबा प्रस्तुत किया गया।
- 19 मई 2006 को पणजी, गोवा में ‘मोरूलो’ लोकनृत्य का प्रस्तुतीकरण किया गया।
- 6 अगस्त 2006 को भुवनेश्वर में संताली लोक कलाकारों द्वारा संताली लोकगीत व नृत्य प्रस्तुत किया गया।
- 10 सितंबर 2006 को मुंबई में लोकगीतों का प्रस्तुतीकरण किया गया।
- 15 अक्तूबर 2006 को देवळा में लोककला और लोकसाहित्य विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- 23 अक्तूबर 2006 को कोलकाता में शुभेन्दु मैती ने लालन फ़क़ीर के गीतों पर व्याख्यान दिया।
- 5-6 नवंबर 2006 को पुरुलिया में मणिपुरी युद्ध-नृत्य का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- 8 फ़रवरी 2007 को असम में विविध पारंपरिक नृत्य विधाएँ विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- 10 जुलाई 2007 को कोलकाता में एन. खगेन्द्र सिंह ने मणिपुर के पेना संगीत पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
- 21 जुलाई 2007 को बेंगळूरु में बसवराज मालाशेट्टी ने गोंधालिग्रा मेले पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
- 27 जुलाई 2007 को बेंगळूरु में कन्नड लोकगीतों का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- 29 जुलाई 2007 को रायपुर में मैथिली लोकगीतों एवं लोकसंगीत का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- 26 सितंबर 2007 को बेंगळूरु में एच.सी. रामचंद्र गौड़ा ने ‘डोम्बीदासरा कला मेला’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
- 24 नवंबर 2007 को असम में लीलाधर ब्रह्म ने खेराइ नृत्य पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
- 25-26 नवंबर 2007 को पुरुलिया, पश्चिम बंगाल में तिवस की पारंपरिक नृत्य विधाओं पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
- 15 दिसंबर 2007 को भुवनेश्वर में लक्ष्मीनारायण रायसिंह ने पाइका नृत्य का प्रस्तुतीकरण प्रस्तुत किया।
- 26 जनवरी 2008 को नरेन्द्रपुर, पश्चिम बंगाल में ढोल-चालम पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उपेन्द्र शर्मा ने इस कला तथा मणिपुरी संस्कृति में इसकी भूमिका पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
- 12 अप्रैल 2008 को गोवा में एल. जयचंद्र सिंह ने मणिपुर की लोककला पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
- 1 जून 2008 को मुंबई में एस. नरजिनारी और साथियों ने बोडो लोक नृत्य की सात विधाओं की प्रस्तुति की।
- 2 जून 2008 को रायरंगपुर में संताली संगीत एवं नृत्य का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- 9 जून 2008 को इंफ़ाल में नवचंद्र सिंह ने खोङजम पर्व: उद्गम एवं विकास विषय पर व्याख्यान दिया तथा एन. इबेमबी देवी तथा उनके साथियों ने गीत एवं नृत्य प्रस्तुत किए।
- 20 जुलाई 2008 को अवनिगद्दा, आंध्रप्रदेश में मणिपुरी युद्ध नृत्य तथा मृदंग प्रस्तुति कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
- 17 अगस्त 2008 को डोम्बीवली (ठाणे) में प्रदीप ज्योति महंत ने असमिया लोककला पर व्याख्यान प्रस्तुत किया तथा रणजीत गोगोइ और उनके साथी कलाकारों ने बिहु नृत्य एवं गीत प्रस्तुत किए।
- 9 नवंबर 2008 को भुवनेश्वर में महापात्र नीलमणि साहू ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
- 14-15 नवंबर 2008 को पुरुलिया में ‘‘त्रिपुरा की रेआंग जनजाति के होजागिरी नृत्य’’ पर द्विदिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
- 21 दिसंबर 2008 को राजकोट में बलवंत जानी ने लोक संतवाणी पर व्याख्यान प्रस्तुत किया तथा निरंजन राजगुरु, करसनदास यादव एवं उनकी मंडली ने भजन प्रस्तुत किए।
- 22 दिसंबर 2008 को इंफ़ाल में मणिपुरी मोइरंग शेइ (खुमनुङ एशेइ) कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
- 24 जनवरी 2009 को नरेन्द्रपुर में पइका अखाड़ा नृत्य प्रस्तुति का आयोजन किया गया।
- 8 फ़रवरी 2009 को राँची में संताली संगीत एवं नृत्य प्रस्तुति का आयोजन किया गया।
- 19 मई 2009 को कोलकाता में असमिया ‘बिहु’, जनजातीय ‘तीवा’ तथा बाङ्ला लोक नृत्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
- 31 मई 2009 को मुंबई में मणिपुर की हुयेल लालाँग मंडली तथा मोखड़ा के आदिवासी लोक कलाकारों द्वारा पूर्वोत्तर के मणिपुरी युद्ध-नृत्य तथा महाराष्ट्र के भोहाड़ा आदिवासी लोकनृत्य की प्रस्तुति।
- 27 जून 2009 को सिक्किम में नेपाली लोकगीतों की प्रस्तुति।
- 13 अक्तूबर 2009 को इंफ़ाल में खाओ पर्व तथा लाजेल पर पेना संगीत कार्यक्रम का आयोजन।
- 16 नवंबर 2009 को नई दिल्ली में मालिनी अवस्थी द्वारा अवधी लोकगीतों की प्रस्तुति।
- 27 मई 2010 को नई दिल्ली में प्रधान मुर्मू तथा उनकी मंडली द्वारा संताली लोकनृत्य की प्रस्तुति।
- 10-11 जुलाई 2010 को लद्दाख़ में असम, लद्दाख़ तथा कश्मीर के कलाकारों ने लोकगीत तथा नृत्य प्रस्तुत किए।
- 29 मई 2011 को नई दिल्ली में दोहर द्वारा बराक घाटी, असम के लोकगीतों की प्रस्तुति।
- 29 अगस्त 2011 को कोलाकाता में अमर पाल ने बाङ्ला ग्रामीण गीत पर व्याख्यान दिया।
- 26 सितंबर 2011 को बेंगळूरु में कइराली कला समिति के सहयोग से कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
- 20 अक्तूबर 2011 को भुवनेश्वर में मगुनी चरण कउनरा ने कंधेइ नाच पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
- 10-11 नवंबर 2011 को पुरुलिया, पश्चिम बंगाल में बोडो पारंपरिक नृत्य-बगुरुम्बा, खेरइ, बर्दविशिक्ला, रैदविंग सिबानी, इम्फी सिबानी की प्रस्तुति।
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अद्यतन : 21.12.2024
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