साहित्य के क्षेत्र में अभिलेखन के महत्त्व और उसकी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए साहित्य अकादेमी ने मार्च 1997 से भारतीय साहित्य के अभिलेखागार की एक परियोजना प्रारंभ की। अभिलेखागार का निर्माण लेखकों और साहित्य से संबंधित महत्त्वपूर्ण सामग्री को एकत्रित तथा सरंक्षित करने के लिए किया गया है, जैसे कि पांडुलिपियाँ, चित्र, ऑडियो रिकार्डिंग, वीडियो रिकार्डिंग और पोर्ट्रेट आदि। पूरे भारतवर्ष में संस्थाओं और व्यक्तियों के पास उपलब्ध वीडियो फिल्म और फुटेज, लेखकों की पांडुलिपियाँ, लेखकों के मध्य हुए रोचक पत्राचार एवं साक्षात्कार और पाठ के उपलब्ध ऑडियो रिकार्डिंग को इकट्ठा कर यह भारतीय साहित्य के संग्रहालय के लिए एक ठोस आधार तैयार करेगा। इसके अलावा परियोजना का उद्देश्य लेखकों, मूलपाठ तथा परंपराओं को पोस्टर और पिक्चर पोस्टकार्ड के स्मृतिचिह्न स्वरूप प्रकाशित कर उसे लोकप्रिय करना है। केन्द्र तथा राज्य सरकारों तथा साहित्यिक संस्थानों को भी यह अभिलेखागार स्मारकों को सरंक्षित करने के लिए सलाह दे सकता है। इस परियोजना के अंतर्गत लेखकों पर फिल्म-निर्माण और लेखकों की फिल्मों की प्रविधियों और अभिलेखागार से संबंधित अभिलेखन और साहित्यिक स्मारकों को सरंक्षित रखने की विधियों पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। साहित्य अकादेमी ने फिल्मों और भारतीय लेखकों और उनके लेखन से संबंधित वीडियो रिकार्डिंग के अभिलेखागार की परियोजना पर कार्य प्रारंभ किया है। अकादेमी द्वारा महत्त्वपूर्ण भारतीय लेखकों पर बनाई गई फिल्मों, छवियों, आवाज़े, जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं, जिसने उनके जीवन को बदल दिया, उनके विचारों और उनकी सृजनात्मक उपलब्धियों पर समकालीन प्रतिक्रिया का अभिलेखागार भविष्य के अनूठे भारतीय साहित्यिक संग्रहालय का बीज होगा, जो आम पाठकों के लिए आनंद का विषय होगा और साहित्यिक अनुसंधानकर्ताओं और इतिहासकारों के लिए उपयोगी होगा। ये फिल्में उन निर्देशकों द्वारा निर्मित की गई हैं, जो अपनी तरह के सृजनात्मक कलाकार हैं। अकादेमी ने अब तक निम्नलिखित लेखकों पर वीडियो फिल्में बनाई हैं :
अमृता प्रीतम (60 मिनट)
निर्देशक: बासु भट्टाचार्य
अख़्तर-उल-ईमान (60 मिनट)
निर्देशक: सईद मिजर्श
वी. के. गोकाक (60 मिनट)
निर्देशक: प्रसन्ना
तकष़ी शिवशंकर पिळ्ळै (60 मिनट)
निर्देशक: एम. टी. वासुदेवन नायर
गोपाल कृष्ण अडिग (60 मिनट)
निर्देशक: गिरीश कार्नाड
विष्णु प्रभाकर (60 मिनट)
निर्देशक: पद्मा सचदेव
बालामणि अम्मा (30 मिनट)
निर्देशक: मधुसूदनन्
विन्दा करंदीकर (60 मिनट)
निर्देशक: नंदन खुदयादी
अन्नदा शंकर राय (60 मिनट)
निर्देशक: चंद्रशेखर कंबार